*⛅दिनांक – 13 अक्टूबर 2022*
*⛅दिन – गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2079*
*⛅शक संवत् – 1944*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र में अश्विन मास)*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – चतुर्थी 14 अक्टूबर प्रातः 03:08 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र – कृतिका शाम 06:41 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग – सिद्धि दोपहर 01:55 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*⛅राहु काल – दोपहर 01:53 से 03:21 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:35*
*⛅सूर्यास्त – 06:16*
*⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:57 से 05:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:01 से 12:51 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – संकट चतुर्थी, करवा चौथ, व्यतिपात योग*
*⛅ विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹 व्यतिपात योग 🔹*
*🔹 समय अवधि : 13 अक्टूबर दोपहर 01:55 से 14 अक्टूबर दोपहर 01:58 तक*
*🌹 व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है ।*
*- वराह पुराण*
*🌹 करवा चौथ – 13 अक्टूबर 2022 🌹*
*🌹 कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है । करवा चौथ के दिन सुहागिन महिला पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं । अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं ।*
*🔹स्वास्थ्य-कल्याण की बातें🔹*
*🔹त्रिदोष – शमन के लिए🔹*
*वमनं कफनाशाय वातनाशाय मर्दनम् । शयनं पित्तनाशाय ज्वरनाशाय लंघनम् ॥*
*’कफनाश करने के लिए वमन (उलटी), वातनाश के लिए मर्दन (मालिश), पित्तनाश हेतु शयन तथा ज्वरनाश के लिए लंघन (उपवास) करना चाहिए ।’*
*🔹तो वैद्य की आवश्यकता ही क्यों ?🔹*
*दिनान्ते च पिबेद् दुग्धं निशान्ते च जलं पिबेत् । भोजनान्ते पिबेत् तक्रं वैद्यस्य किं प्रयोजनम् ॥*
*’दिन के अंतिम भाग में अर्थात् रात्रि को शयन से १ घंटा पूर्व दूध, प्रातःकाल उठकर जल (लगभग २५० मि.ली. गुनगुना) और भोजन के बाद तक्र (मट्ठा) पियें तो जीवन में वैद्य की आवश्यकता ही क्यों पड़े ?’*
*🔹बिना औषधि के रोग दूर🔹*
*विनापि भेषजं व्याधिः पथ्यादेव निवर्तते ।*
*न तु पथ्यविहीनोऽयं भेषजानां शतैरपि ॥*
*पथ्य-सेवन से व्याधि बिना औषधि के भी नष्ट हो जाती है परंतु जो पथ्य सेवन नहीं करता, यथायोग्य आहार-विहार नहीं रखता, वह चाहे सैकड़ों औषधियाँ ले ले फिर भी उसका रोग दूर नहीं होता ।*
*🔹दीर्घायु के लिए…🔹*
*वामशायी द्विभुञ्जानो षण्मूत्री द्विपुरीषकः । स्वल्पमैथुनकारी च शतं वर्षाणि जीवति ॥*
*’बायीं करवट सोनेवाला, दिन में दो बार भोजन करनेवाला, कम-से-कम छः बार लघुशंका व दो बार शौच जानेवाला, (वंशवृद्धि के उद्देश्य से) स्वल्प-मैथुनकारी व्यक्ति सौ वर्ष तक जीता है ।’*
*🔹हरिनाम संकीर्तन से रोग-शमन सर्वरोगोपशमनं🔹*
*सर्वोपद्रवनाशनम् । शान्तिदं सर्वारिष्टानां हरेर्नामानुकीर्तनम् ॥*
*’हरिनाम संकीर्तन सभी रोगों का उपशमन करनेवाला, सभी उपद्रवों का नाश करनेवाला और समस्त अरिष्टों की शांति करनेवाला है ।’*
🙏🏻 हर हर महादेव 🙏🏻
🌞 ~ *वैदिक पंचांग* ~🌞
🌷 *व्यतिपात योग* 🌷
🙏🏻 *व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।*
🙏🏻 *वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।*
🙏🏻 *व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।*
💥 *विशेष ~ 13 अक्टूबर 2022 गुरुवार को दोपहर 01:56 से 14 अक्टूबर, शुक्रवार को दोपहर 01:58 तक व्यतिपात योग है।*
🙏🏻 *
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए* 🌷
👉 *13 अक्टूबर 2022 गुरुवार को संकष्ट चतुर्थी है (चन्द्रोदय रात्रि 08:42)*
🙏🏻 *शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :*
🌷 *ॐ गं गणपते नमः ।*
🌷 *ॐ सोमाय नमः ।*
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🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *कोई कष्ट हो तो* 🌷
🙏🏻 *हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |*
👉🏻 *छः मंत्र इस प्रकार हैं –*
🌷 *ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।*
🌷 *ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।*
🌷 *ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।*
🌷 *ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।*
🌷 *ॐ अविघ्नाय नम:*
🌷 *ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
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जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष
दिनांक 13 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 4 होगा। इस अंक से प्रभावित व्यक्ति जिद्दी, कुशाग्र बुद्धि वाले, साहसी होते हैं। आपका जीवन संघर्षशील होता है। इनमें अभिमान भी होता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में अनेक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है।
जैसे तेज स्पीड से आती गाड़ी को अचानक ब्रेक लग जाए ऐसा उनका भाग्य होगा। लेकिन यह भी निश्चित है कि इस अंक वाले अधिकांश लोग कुलदीपक होते हैं। ये लोग दिल के कोमल होते हैं किन्तु बाहर से कठोर दिखाई पड़ते हैं। इनकी नेतृत्त्व क्षमता के लोग कायल होते हैं।
शुभ दिनांक : 4, 8, 13, 22, 26, 31,
शुभ अंक : 4, 8,18, 22, 45, 57,
शुभ वर्ष : 2031, 2040, 2060
ईष्टदेव : श्री गणेश, श्री हनुमान
शुभ रंग : नीला, काला, भूरा
कैसा रहेगा यह वर्ष
मान-सम्मान में वृद्धि होगी, वहीं मित्र वर्ग का सहयोग मिलेगा। नवीन व्यापार की योजना प्रभावी होने तक गुप्त ही रखें। यह वर्ष पिछले वर्ष के दुष्प्रभावों को दूर करने में सक्षम है। आपको सजग रहकर कार्य करना होगा।
शत्रु पक्ष पर प्रभावपूर्ण सफलता मिलेगी। नौकरीपेशा प्रयास करें तो उन्नति के चांस भी है। विवाह के मामलों में आश्चर्यजनक परिणाम आ सकते हैं। परिवारिक मामलों में सहयोग के द्वारा सफलता मिलेगी