वैदिक पंचांग (Vaidik Panchang)
🌤️ दिनांक – 05 नवम्बर 2024
🌤️ दिन – मंगलवार
🌤️ विक्रम संवत – 2081
🌤️ शक संवत -1946
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – हेमंत ॠतु
🌤️ मास – कार्तिक
🌤️ पक्ष – शुक्ल
🌤️ तिथि – चतुर्थी रात्रि 12:16 तक तत्पश्चात पंचमी
🌤️ नक्षत्र – ज्येष्ठा सुबह 09:45 तक तत्पश्चात मूल
🌤️ योग – अतिगण्ड सुबह 11:28 तक तत्पश्चात सुकर्मा
🌤️ राहुकाल – शाम 03:11 से शाम 04:36 तक
🌤️ सूर्योदय 06:44
🌤️ सूर्यास्त – 5:59
👉 दिशाशूल – उत्तर दिशा मे
🚩 व्रत पर्व विवरण – विनायक चतुर्थी,मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से रात्रि 12:16 तक)
💥 विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 वास्तविक लाभ पाने का दिन : लाभपंचमी 🌷
➡ 06 नवम्बर 2024 बुधवार को लाभपंचमी है ।
🙏🏻 कार्तिक शुक्ल पंचमी ‘लाभपंचमी कहलाती है । इसे ‘सौभाग्य पंचमी भी कहते हैं । जैन लोग इसको ‘ज्ञान पंचमी कहते हैं । व्यापारी लोग अपने धंधे का मुहूर्त आदि लाभपंचमी को ही करते हैं । लाभपंचमी के दिन धर्मसम्मत जो भी धंधा शुरू किया जाता है उसमें बहुत-बहुत बरकत आती है । यह सब तो ठीक है लेकिन संतों-महापुरुषों के मार्गदर्शन-अनुसार चलने का निश्चय करके भगवद्भक्ति के प्रभाव से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार इन पाँचों विकारों के प्रभाव को खत्म करने का दिन है लाभपंचमी ।
👉🏻 (१) लाभपंचमी के पाँच अमृतमय वचनों को याद रखो :
➡ पहली बात : ‘भगवान हमारे हैं, हम भगवान के हैं – ऐसा मानने से भगवान में प्रीति पैदा होगी । ‘शरीर, घर, संबंधी जन्म के पहले नहीं थे और मरने के बाद नहीं रहेंगे लेकिन परमात्मा मेरे साथ सदैव हैं – ऐसा सोचने से आपको लाभपंचमी के पहले आचमन द्वारा अमृतपान का लाभ मिलेगा ।
➡ दूसरी बात : हम भगवान की सृष्टि में रहते हैं, भगवान की बनायी हुई दुनिया में रहते हैं । तीर्थभूमि में रहने से पुण्य मानते हैं तो जहाँ हम-आप रह रहे हैं वहाँ की भूमि भी तो भगवान की है; सूरज, चाँद, हवाएँ, श्वास, धडकन सब-के-सब भगवान के हैं, तो हम तो भगवान की दुुनिया में, भगवान के घर में रहते हैं । मगन निवास, अमथा निवास, गोकुल निवास ये सब निवास ऊपर-ऊपर से हैं लेकिन सब-के-सब भगवान के निवास में ही रहते हैं । यह सबको पक्का समझ लेना चाहिए । ऐसा करने से आपके अंतःकरण में भगवद्धाम में रहने का पुण्यभाव जगेगा ।
➡ तीसरी बात : आप जो कुछ भोजन करते हैं भगवान का सुमिरन करके, भगवान को मानसिक रूप से भोग लगाके करें । इससे आपका पेट तो भरेगा, हृदय भी भगवद्भाव से भर जायेगा ।
➡ चौथी बात : माता-पिता की, गरीब की, पडोसी की, जिस किसीकी सेवा करो तो ‘यह बेचारा है… मैं इसकी सेवा करता हूँ… मैं नहीं होता तो इसका क्या होता… – ऐसा नहीं सोचो; भगवान के नाते सेवाकार्य कर लो और अपने को कर्ता मत मानो ।
➡ पाँचवीं बात : अपने तन-मन को, बुद्धि को विशाल बनाते जाओ । घर से, मोहल्ले से, गाँव से, राज्य से, राष्ट्र से भी आगे विश्व में अपनी मति को फैलाते जाओ और ‘सबका मंगल, सबका भला हो, सबका कल्याण हो, सबको सुख-शांति मिले, सर्वे भवन्तु सुखिनः… इस प्रकार की भावना करके अपने दिल को बडा बनाते जाओ । परिवार के भले के लिए अपने भले का आग्रह छोड दो, समाज के भले के लिए परिवार के हित का आग्रह छोड दो, गाँव के लिए पडोस का, राज्य के लिए गाँव का, राष्ट्र के लिए राज्य का, विश्व के लिए राष्ट्र का मोह छोड दो और विश्वेश्वर के साथ एकाकार होकर बदलनेवाले विश्व में सत्यबुद्धि तथा उसका आकर्षण और मोह छोड दो । 🙏🏻 तब ऐसी विशाल मति जगजीत प्रज्ञा की धनी बन जायेगी ।
🙏🏻 मन के कहने में चलने से लाभ तो क्या होगा हानि अवश्य होगी क्योंकि मन इन्द्रिय-अनुगामी है, विषय-सुख की ओर मति को ले जाता है । लेकिन मति को मतीश्वर के ध्यान से, स्मरण से पुष्ट बनाओगे तो वह परिणाम का विचार करेगी, मन के गलत आकर्षण से सहमत नहीं होगी । इससे मन को विश्रांति मिलेगी, मन भी शुद्ध-सात्त्विक होगा और मति को परमात्मा में प्रतिष्ठित होने का अवसर मिलेगा, परम मंगल हो जायेगा।
शिवजी के अवतार के रूपों के बारे में जानकारी इस प्रकार है:
वीरभद्र अवतार – भगवान शिव ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ को नष्ट करने के लिए यह अवतार लिया।
भैरव अवतार – भगवान शिव का यह अवतार काली और श्मशान के देवता के रूप में है।
नटराज अवतार – भगवान शिव का यह अवतार नृत्य और संगीत के देवता के रूप में है।
रुद्र अवतार – भगवान शिव का यह अवतार विनाश और प्रलय के देवता के रूप में है।
शंभू अवतार – भगवान शिव का यह अवतार उनके शांत और दयालु स्वरूप के रूप में है।
पिशाचमोचन अवतार – भगवान शिव ने पिशाचों को मुक्त करने के लिए यह अवतार लिया।
किरात अवतार – भगवान शिव का यह अवतार शिकारी और वनवासी के रूप में है।
सोमनाथ अवतार – भगवान शिव का यह अवतार चंद्रमा के रूप में है।
दरिद्रनारायण अवतार – भगवान शिव ने गरीबों और असहायों की मदद के लिए यह अवतार लिया।
योगेश्वर अवतार – भगवान शिव का यह अवतार योग और आध्यात्मिक ज्ञान के देवता के रूप में है।
अविनाश अवतार – भगवान शिव का यह अवतार उनके अविनाशी और शाश्वत स्वरूप के रूप में है।
भोलेनाथ अवतार – भगवान शिव का यह अवतार उनके शांत और दयालु स्वरूप के रूप में है।
इन अवतारों में भगवान शिव की विभिन्न शक्तियों और गुणों का प्रकट होता है।
सोमवार व्रत में भोजन के नियम इस प्रकार हैं:
व्रत के दौरान खाने की चीजें:
फल (केला, सेब, अंगूर आदि)
फलों का रस
दूध और दही
मठरी या फलाहारी मिठाई
सब्जियां (अलू, गाजर, मूली आदि)
अनाज से बनी चीजें (रोटी, पराठा आदि)
व्रत के दौरान न खाने की चीजें:
मांसाहारी भोजन
शराब और अन्य नशीले पदार्थ
लहसुन और प्याज
मसालेदार भोजन
चावल और उड़द दाल
व्रत के समय:
सोमवार की सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें।
व्रत की शुरुआत करें और फलाहारी भोजन करें।
दिनभर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
शाम को भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें और व्रत को समाप्त करें।
व्रत की अवधि:
सोमवार की सुबह सूर्योदय से लेकर रात के 9 बजे तक।
कुछ लोग सोमवार की सुबह सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक व्रत रखते हैं।
यह ध्यान रखें कि व्रत के नियम व्यक्ति की आवश्यकता और स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो व्रत करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।
सोमवार व्रत की संख्या व्यक्ति की इच्छा और आवश्यकता पर निर्भर करती है। कुछ लोग 1 सोमवार व्रत करते हैं, जबकि अन्य 16 सोमवार व्रत करते हैं।
यहाँ कुछ आम सोमवार व्रत की संख्याएँ हैं:
एक सोमवार व्रत: इसे करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
16 सोमवार व्रत: इसे करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति होती है।
28 सोमवार व्रत: इसे करने से भगवान शिव की अत्यधिक कृपा प्राप्त होती है और जीवन में स्थायी सुख-समृद्धि आती है।
40 सोमवार व्रत: इसे करने से भगवान शिव की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है और जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
यह ध्यान रखें कि सोमवार व्रत की संख्या महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि व्रत के दौरान की गई भक्ति और समर्पण महत्वपूर्ण है।
पूजा करते हुए आँखों से आंसू निकलना एक सामान्य और पवित्र अनुभव है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
भावनात्मक उत्तेजना: पूजा के दौरान व्यक्ति की भावनाएँ उत्तेजित हो सकती हैं, जिससे आँखों से आंसू निकलने लगते हैं।
आध्यात्मिक अनुभव: पूजा के दौरान व्यक्ति को ईश्वर या गुरु के साथ जुड़ने का अनुभव हो सकता है, जिससे आँखों से आंसू निकलने लगते हैं।
शुद्धता और पवित्रता: पूजा के दौरान व्यक्ति की आत्मा शुद्ध और पवित्र होती है, जिससे आँखों से आंसू निकलने लगते हैं।
मानसिक शांति: पूजा के दौरान व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है, जिससे आँखों से आंसू निकलने लगते हैं।
करुणा और दया: पूजा के दौरान व्यक्ति के हृदय में करुणा और दया की भावना उत्पन्न होती है, जिससे आँखों से आंसू निकलने लगते हैं।
पूजा करते हुए आँखों से आंसू निकलने के फायदे:
आत्मशुद्धि: आँखों से आंसू निकलने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है।
मानसिक शांति: आँखों से आंसू निकलने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।
आध्यात्मिक विकास: आँखों से आंसू निकलने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।
ईश्वर के साथ जुड़ाव: आँखों से आंसू निकलने से व्यक्ति को ईश्वर के साथ जुड़ने का अनुभव होता है।
यह ध्यान रखें कि पूजा करते हुए आँखों से आंसू निकलना एक व्यक्तिगत अनुभव है और इसका अर्थ व्यक्ति की भावनाओं और आध्यात्मिक अवस्था पर निर्भर करता है।
🔹घर में सुख-शांति के लिए🔹
🔹वास्तुशास्त्र के नियमों के उचित पालन से शरीर की जैव-रासायनिक क्रिया को संतुलित रखने में सहायता मिलती है ।
🔹घर या वास्तु के मुख्य दरवाजे में देहरी (दहलीज) लगाने से अनेक अनिष्टकारी शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं व दूर रहती हैं । प्रतिदिन सुबह मुख्य द्वार के सामने हल्दी, कुमकुम व गोमूत्र मिश्रित गोबर से स्वस्तिक, कलश आदि आकारों में रंगोली बनाकर देहरी (दहलीज) एवं रंगोली की पूजा कर परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि ‘हे ईश्वर ! आप मेरे घर व स्वास्थ्य की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करें ।’
🔹प्रवेश-द्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते का तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है ।
🔹वास्तु कि मुख्य द्वार के सामने भोजन-कक्ष, रसोईघर या खाने की मेज नहीं होनी चाहिए ।
🔹मुख्य द्वार के अलावा पूजाघर, भोजन-कक्ष एवं तिजोरी के कमरे के दरवाजे पर भी देहरी (दहलीज) अवश्य लगवानी चाहिए ।
🔹भूमि-पूजन, वास्तु-शांति, गृह-प्रवेश आदि सामान्यतः शनिवार एवं मंगलवार को नहीं करने चाहिए ।
🔹गृहस्थियों को शयन-कक्ष में सफेद संगमरमर नहीं लगावाना चाहिए । इसे मन्दिर मे लगाना उचित है क्योंकि यह पवित्रता का द्योतक है ।
🔹कार्यालय के कामकाज, अध्ययन आदि के लिए बैठने का स्थान छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक दबाव रहता है ।
🔹बीम के नीचे वाले स्थान में भोजन बनाना व करना नहीं चाहिए । इससे आर्थिक हानि हो सकती है । बीम के नीचे सोने से स्वास्थ्य में गड़बड़ होती है तथा नींद ठीक से नहीं आती।
कार्तिक माहात्म्य
राजा पृथु ने नारद जी से पूछा:–
‘हे देवर्षि! कृपया आप अब मुझे यह बताइए कि वृन्दा को मोहित करके विष्णुजी ने क्या किया और फिर वह कहाँ गये ?’
नारदजी ने कहा–‘जब देवता स्तुति कर मौन हो गये तब शंकर जी ने सब देवताओ से कहा–‘हे ब्रह्मादिक देवताओं! जलन्धर तो मेरा ही अंश था। उसे मैंने तुम्हारे लिए नहीं मारा है, यह मेरी सांसारिक लीला थी, फिर भी आप लोग सत्य कहिए कि इससे आप सुखी हुए या नहीं ?’
तब ब्रह्मादिक देवताओं के नेत्र हर्ष से खिल गये और उन्होंने शिवजी को प्रणाम कर विष्णुजी का वह सब वृत्तान्त कह सुनाया जो उन्होंने बड़े प्रयत्न से वृन्दा को मोहित किया था तथा वह अग्नि में प्रवेश कर परमगति को प्राप्त हुई थी।
देवताओं ने यह भी कहा–‘तभी से वृन्दा की सुन्दरता पर मोहित हुए विष्णु उनकी चिता की राख लपेट इधर-उधर घूमते हैं। अतएव आप उन्हें समझाइए क्योंकि यह सारा चराचर आपके आधीन है।’
देवताओं से यह सारा वृत्तान्त सुन शंकरजी ने उन्हें अपनी माया समझाई और कहा कि उसी से मोहित विष्णु भी काम के वश में हो गये हैं। परन्तु महादेवी उमा, त्रिदेवों की जननी सबसे परे वह मूल प्रकृति, परम मनोहर और वही गिरिजा भी कहलाती है। अतएव विष्णु का मोह दूर करने के लिए आप सब उनकी शरण में जाइए।’
शंकरजी की आज्ञा से सब देवता मूल-प्रकृति को प्रसन्न करने चले। उनके स्थान पर पहुँचकर उनकी बड़ी स्तुति की तब यह आकाशवाणी हुई–‘हे देवताओं! मैं ही तीन प्रकार से तीनों गुणों से पृथक होकर स्थित सत्य गुण से गौरा, रजोगुण से लक्ष्मी और तमोगुण से ज्योति रूप हूँ। अतएव अब आप लोग मेरी रक्षा के लिए उन देवियों के पास जाओ तो वे तुम्हारे मनोरथों को पूर्ण कर देगीं।’
यह सब सुनकर देवता भगवती के वाक्यों का आदर करते हुए गौरी, लक्ष्मी और सरस्वती को प्रणाम करने लगे।
सब देवताओं ने भक्ति पूर्वक उन सब देवियों की प्रार्थना की। उस स्तुति से तीनों देवियाँ प्रकट हो गई। सभी देवताओं ने खुश होकर निवेदन किया तब उन देवियों ने कुछ बीज देकर कहा–‘इसे ले जाकर बो दो तो तुम्हारे सब कार्य सिद्ध हो जायेंगे।’
ब्रह्मादिक देवता उन बीजों को लेकर विष्णुजी के पास गये। वृन्दा की चिता-भूमि में डाल दिया। उससे धात्री, मालती और तुलसी प्रकट हुई।
विधात्री के बीज से धात्री, लक्ष्मी के बीज से मालती और गौरी के बीज से तुलसी प्रकट हुई। विष्णुजी ने ज्योंही उन स्त्री रूपवाली वनस्पतियों को देखा तो वे उठ बैठे।
कामासक्त चित्त से मोहित हो उनसे याचना करने लगे। धात्री और तुलसी ने उनसे प्रीति की। विष्णुजी सारा दुख भूल देवताओं से नमस्कृत हो अपने लोक बैकुण्ठ में चले।
वह पहले की तरह सुखी होकर शंकरजी का स्मरण करने लगे। यह आख्यात शिवजी की भक्ति देने वाला है।
शंख बजाने के लिए कुछ विशेष समय और परिस्थितियाँ होती हैं जब शंख नहीं बजाना चाहिए। यहाँ कुछ विशेष समय और परिस्थितियाँ हैं:
रात्रि में: रात्रि में शंख नहीं बजाना चाहिए, क्योंकि यह समय भगवान के विश्राम का होता है।
मध्याह्न में: मध्याह्न में भी शंख नहीं बजाना चाहिए, क्योंकि यह समय भगवान के आराम का होता है।
शोक और दुःख के समय: शोक और दुःख के समय शंख नहीं बजाना चाहिए।
मृत्यु के समय: मृत्यु के समय शंख नहीं बजाना चाहिए।
अशुद्ध और अपवित्र स्थान पर: अशुद्ध और अपवित्र स्थान पर शंख नहीं बजाना चाहिए।
महिलाओं के मासिक धर्म के समय: महिलाओं के मासिक धर्म के समय शंख नहीं बजाना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के सामने: गर्भवती महिलाओं के सामने शंख नहीं बजाना चाहिए।
बच्चों के सामने: बच्चों के सामने शंख नहीं बजाना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें डर लग सकता है।
भगवान की पूजा के बाद: भगवान की पूजा के बाद शंख नहीं बजाना चाहिए, क्योंकि इससे भगवान की शांति भंग हो सकती है।
विशेष त्योहारों के अलावा: विशेष त्योहारों के अलावा शंख नहीं बजाना चाहिए, क्योंकि इससे भगवान की शांति भंग हो सकती है।
इन समयों और परिस्थितियों में शंख नहीं बजाना चाहिए।
शंख बजाने की संख्या विभिन्न परंपराओं और पूजा पद्धतियों में भिन्न हो सकती है। यहाँ कुछ आम नियम हैं:
सुबह और शाम की पूजा में शंख 3 से 5 बार बजाना चाहिए।
भगवान की आरती के समय शंख 7 से 11 बार बजाना चाहिए।
विशेष अवसरों पर शंख 11 से 21 बार बजाना चाहिए।
पूर्णिमा और अमावस्या के दिन शंख 7 से 11 बार बजाना चाहिए।
शंख बजाने की संख्या के पीछे कुछ विशेष अर्थ हैं:
3 बार: त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) की पूजा के लिए।
5 बार: पंच तत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) की पूजा के लिए।
7 बार: सप्त ऋषि और सप्त स्वर की पूजा के लिए।
11 बार: एकादश रुद्र और एकादशी की पूजा के लिए।
21 बार: विशेष अवसरों पर भगवान की विशेष पूजा के लिए।
यह ध्यान रखें कि शंख बजाने की संख्या व्यक्ति की इच्छा और परंपरा पर निर्भर करती है।
पंचक आरम्भ
नवम्बर 9, 2024, शनिवार को 11:27 पी एम बजे
पंचक अंत
नवम्बर 14, 2024, बृहस्पतिवार को 03:11 ए एम बजे
आज का सुविचार
⛳🔱😊🙏🏻⚜️🕉️
अगर कुछ प्राप्त करना है तो प्रारंभ करना पड़ेगा, केवल वार्तालाप से सफलता प्राप्त नहीं होती॥
जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष
आप बेहद भाग्यशाली हैं कि आपका जन्म 5 तारीख को हुआ है। 5 का मूलांक भी 5 ही होता है। ऐसे व्यक्ति अधिकांशत: मितभाषी होते हैं। कवि, कलाकार तथा अनेक विद्याओं के जानकार होते हैं। आपमें गजब की आकर्षण शक्ति होती है। आपमें लोगों को सहज अपना बना लेने का विशेष गुण होता है। अनजान व्यक्ति की मदद के लिए भी आप सदैव तैयार रहते हैं।
आपमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन करना मुश्किल है। अर्थात अगर आप अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं तो आपको कोई भी बुरी संगत बिगाड़ नहीं सकती। अगर आप खराब आचरण के हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सुधार नहीं सकती। लेकिन सामान्यत: 5 तारीख को पैदा हुए व्यक्ति सौम्य स्वभाव के ही होते हैं।
शुभ दिनांक : 1, 5, 7, 14, 23
शुभ अंक : 1, 2, 3, 5, 9, 32, 41, 50
शुभ वर्ष : 2030, 2032, 2034, 2050, 2059, 2052
ईष्टदेव : देवी महालक्ष्मी, गणेशजी, मां अम्बे।
शुभ रंग : हरा, गुलाबी, जामुनी, क्रीम
जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल :
दाम्पत्य जीवन में मधुर वातावरण रहेगा। अविवाहित भी विवाह में बंधने को तैयार रहें। व्यापार-व्यवसाय में प्रगति से प्रसन्नता रहेगी। यह वर्ष सफलताओं भरा रहेगा। अभी तक आ रही परेशानियां भी इस वर्ष दूर होती नजर आएंगी। परिवारिक प्रसन्नता रहेगी। संतान पक्ष से खुशखबर आ सकती है। नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए यह वर्ष निश्चय ही सफलताओं भरा रहेगा
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन आपको इच्छा के विपरीत कोई कार्य करना पड़ेगा जिससे मन निराशा एवं ग्लानि से भरा रहेगा। आज धर्म के प्रति आस्था अधिक बढ़ेगी घरेलू कार्यो को भी गंभीरता से करने से टकराव की स्थिति से बचेंगे। कार्य व्यवसाय आज अन्य लोगो के निर्णय पर निर्भर रहेगा। व्यवसायियों को नए अनुबंध मिल सकते है परन्तु इसके लिये उच्चाधिकारियों अथवा किसी अन्य व्यापारी की खुशामद करनी पड़ेगी। धन लाभ आज सामान्य ही रहेगा खर्च आसानी से निकाल लेंगे। परिजन आज आपकी भावनाओं की कद्र करेंगे फिर भी व्यर्थ बोलने से बचें शांति रहेगी।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन प्रतिकूल फलदायी है सभी कार्य विशेष कर यात्रा अथवा मशीन से जुड़े कार्य सतर्क हो कर करें आकस्मिक दुर्घटना में चोटादि का भय है। कार्य क्षेत्र पर भी आज चोरी अथवा अन्य कार्यो से हानि के योग है। नौकरी पेशा जातक अथवा व्यवसायी आज के दिन पहले अधूरे कार्य पूर्ण करें इसके बाद ही अन्य काम हाथ मे ले अन्यथा कोई बड़ी गलती होने से क्षति होगी। धन लाभ मुश्किल से निर्वाह योग्य हो सकेगा। सेहत के प्रति आज लापरवाही करेंगे जिसका परिणाम आगे गंभीर हो सकता है। घर का वातावरण उथल-पुथल रहेगा।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपको विजय दिलाने वाला रहेगा। जिस भी कार्य का मन बनाएंगे उसमे बेझिझक होकर निर्णय ले सकेंगे। सफलता थोड़ी विलम्ब से परन्तु अवश्य मिलेगी। धन लाभ के लिए आज ज्यादा सरदर्दी नही लेनी पड़ेगी सहज हो जाएगा। नौकरी व्यवसाय में आपको नए कार्य सौंपे जायेगे। परिजनों की जिद पर खर्च करना पड़ेगा सुख शांति बनाने में सहायक भी रहेगा। आज आप लगभग सभी की आकांक्षाओं पर खरे ही उतरेंगे। अहम की भावना भी थोड़ी बहुत रहेगी परन्तु परोपकार स्वभाव के आगे विलुप्त हो जाएगी। परोपकार भी स्वार्थ से ही करेंगे।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन धन और धन्य दोनो की वृद्धि करेगा। परिवार के साथ ही व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति पर अधिक खर्च करेंगे धन की आमद रुक रुक कर होते रहने से खर्च आपको अखरेगा नही। फिर भी आज कुछ फिजूल खर्च भी होंगे जिससे बजट प्रभावित हो सकता है। कार्य क्षेत्र पर आज आप मेहनत का उचित फल पाएंगे नौकरी वाले जातक अधिकारियों के प्रिय रहेंगे व्यवसायी वर्ग भी अपनी अलग पहचान बनाने में सफल होंगे। संध्या का समय घर से बाहर आनंद से बीतेगा। घर मे भी आज आपकी हास परिहास का वातावरण मिलेगा।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप सभी कार्यो में अपनी कार्यकुशलता का परिचय देंगे। आज आपके कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य विलम्ब से होंगे जिससे थोड़ी बेचैनी रहेगी लेकिन इंतजार का फल मीठा ही रहेगा धन लाभ आवश्यकता से अधिक एवं एक से अधिक साधनों से होगा। आज आपको खर्च करने में संकोच नही करना पड़ेगा जब भी जिस भी वस्तु का मन करेगा आसानी से प्राप्त कर लेंगे। घर एवं बाहर मिलनसार माहौल मिलने से कार्यो की थकान कम होगी। परिजन आपकी पसंद का विशेष ध्यान रखेंगे। उत्तम भोजन वाहन सुख मिलेगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपमे अहम की भावना रहेगी। आस पास के लोग आज आपकी आदतों से असहज महसूस करेंगे। अपनी श्रेष्ठता दिखाने का कोई मौका नही छोड़ेंगे अन्य लोगो के कार्य में टांग अड़ाने में प्रसन्नता मिलेगी परन्तु बदनामी भी होगी सहकर्मी आज आपसे असंतुष्ट ही रहेंगे। व्यवसाय में कार्य बनते बनते आपकी ही जिद के कारण अटक सकते है। लोग आज केवल स्वार्थ वश ही आपकी प्रशंशा अथवा सहयोग करेंगे। आपके अंदर भी स्वार्थ सिद्धि अथवा ले देकर कार्य बनाने की प्रवृति रहेगी। घर का वातावरण तालमेल की कमी से अस्त-व्यस्त बनेगा।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आपके अनुकूल रहेगा। आज आपकी किसी इच्छा के पूर्ण होने से मन दिन भर प्रसन्न रहेगा। कार्य क्षेत्र पर कुछ गलतफहमी हो सकती है लेकिन जड़ ही स्थिति स्पष्ट होने से व्यवधान आने से बचेंगे। अधिकारी एवं कर्मचारी वर्ग दोनो कार्य के प्रति गंभीर रहेंगे जिससे सफलता निश्चित मिलेगी परन्तु अधिकारी वर्ग से काम निकालने के लिए विभिन्न युक्तियां लगानी पड़ेंगी। सरकारी कार्य भी आज थोड़े प्रयास से पूर्ण हो सकते है। धन लाभ आशानुकूल रहेगा परिवार में शुभ कार्य होंगे शुभ समाचार भी मिल सकते है।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन आप अधिकांश समय असमंजस की स्थिति में रहेंगे बचते बचते भी कलह पीछा नही छोड़ेगी। किसी ना किसी कारण से घर के सदस्यों से विवाद हो सकता है। घर के बुजुर्ग भी आपसे नाराज रहेंगे। आज कोई भी कार्य परिवार के सदस्यों की सलाह के बिना ना करें अन्यथा स्थिति गंभीर बनते देर नही लगेगी। काम-धंधा भी सुस्त रहने से आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ेगा। अधिकांश कार्य बनते बनते अंतिम चरण में आकर लंबित रह जाएंगे। नौकरी पेशा जातक आज विशेष सावधानी बरतें मान हानि हो सकती है। धन लाभ न्यून रहेगा।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप नियमित आय के साथ ही अतिरिक्त आय भी कमा सकेंगे अथवा अतिरिक्त आय के द्वार खुलेंगे। भविष्य के लिए नई योजनाएं बनाएंगे। व्यवसाय में आज जहां उम्मीद नही होगी वहां से भी लाभ होगा। आर्थिक समस्याओं में कमी आने से मन प्रसन्न रहेगा। काम धंधे में सहयोगियों के साथ ही परिजनों का भी महत्त्वपूर्ण सहयोग मिलेगा। नए सौदे मिलने पर धन की आमद सुनिश्चित होगी। भागीदारी के कार्य में निवेश निकट भविष्य में लाभ देगा। परिवार के सदस्यों से आज अच्छी पटेगी भले ही मन मे स्वार्थ सिद्धि की भावना रहे।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपकी आशाओ के विपरीत रहने वाला है आज अपनी आवश्यकताओं को कम करने का प्रयास करें सुखी रहंगे। काम-काज के सिलसिले में भाग-दौड़ अधिक रहेगी परन्तु परिणाम अल्प रहने से निराशा होगी। आर्थिक कारणों से ज्यादा परेशान रहेंगे धन लाभ स्वयं के बल पर नही हो पायेगा घर मे किसी सदस्य की अथवा स्वयं की सेहत बिगड़ सकती है। आज कोई भी जोखिम वाला कार्य करने से परहेज करें। गहरे पानी अथवा ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने से बचे। आज आप जिद्दी स्वभाव के कारण कष्ट भोगेंगे विवेक से काम लें।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन बीते कुछ दिनों की अपेक्षा लाभदायी रहेगा। आवश्यक कार्यो में आरम्भ में कुछ उलझने रहेंगी परन्तु धीरे धीरे इनमे सफलता मिलती जाएगी। कार्य व्यवसाय में स्थिति पक्ष में होने के लिए कुछ समय लग सकता है फिर भी धन की आमद आज निश्चित होगी। आपके विचार अन्य लोगो से एकमत ना होने पर भी लाभ दिलाने वाले रहेंगे। विपरीत लिंगीय आकर्षण अधिक रहेगा महिला अथवा पुरुष मित्रो को बाते आंख बंद कर मान लेने भले ही इससे आपको परेशानी ही हो। परिवार में शांति रहेगी।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन संभावनाओं पर केंद्रित रहेगा। व्यवसाय में आय निश्चित नही रहेगी फिर भी आकस्मिक लाभ हो सकता है। पुराने कार्यो में पैसे रुकने से मन निराश होगा धन को लेकर किसी से बहस भी हो सकती है। वाणी एवं व्यवहार संयमित रखें बड़बोलापन सम्मान से साथ धन हानि भी करा सकता है। आज किसी के कार्य से अपना समय व्यर्थ करेंगे। व्यवसायिक कार्यो में जल्दबाजी ना दिखाए अन्यथा जितना लाभ होना चाहिए उतना नही हो सकेगा। संध्या के समय धन सम्बन्धीत शुभ समाचार मिलेंगे। परिवार में कुछ बातों को छोड़ तालमेल बना रहेगा।
Read More
4 November 2024: Vaidik Panchang and Horoscope