वैदिक पंचांग (Vaidik Panchang)
⛅दिनांक – 20 अक्टूबर 2024
⛅दिन – रविवार
⛅विक्रम संवत् – 2081
⛅अयन – दक्षिणायन
⛅ऋतु – शरद
⛅मास – कार्तिक
⛅पक्ष – कृष्ण
⛅तिथि – तृतीया प्रातः 06:46 अक्टूबर 20 तक तत्पश्चात चतुर्थी प्रातः 04:16 अक्टूबर 21 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅नक्षत्र – कृत्तिका प्रातः 08:31 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅योग – व्यतीपात दोपहर 02:12 तक, तत्पश्चात वरीयान्
⛅राहु काल – शाम 04:43 से शाम 06:10 तक
⛅सूर्योदय – 06:39
⛅सूर्यास्त – 06:10
⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:59 से 05:49 तक
⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:01 से दोपहर 12:47 तक
⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 अक्टूबर 20 से रात्रि 12:49 अक्टूबर 21 तक
⛅ व्रत पर्व विवरण – करवा चौथ, अट्ल तद्दी, रोहिणी व्रत, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी
⛅विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 करवा चौथ – 20 अक्टूबर 2024 🌹
🌹 कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है ।
करवा चौथ के दिन सुहागिन महिला पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं ।
अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं ।
करवा चौथ पर छलनी से क्यों करते हैं पति का दीदार?
कैसे देना चाहिए अर्ध्य, जानें रोचक सवाल-जबाव
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दिवाली से ठीक १२ दिन पहले करवाचौथ का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में करवाचौथ व्रत का बड़ा महत्व है. इस वर्ष करवा चौथ २० अक्टूबर २०२४ दिन रविवार को पड़ रहा है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना से दिनभर निर्जला व्रत करती हैं. इसके बाद रात को चंद्र देव को अर्घ्य देकर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं. करवा चौथ को लेकर लोगों में कई सवाल भी होते हैं. जैसे- करवा चौथ का व्रत कैसे रखें? करवा चौथ पर छलनी से क्यों करते हैं पति का दीदार? करवे में क्या भरना चाहिए? ऐसे कई रोचक सवालों बारे में आपको बता रहे हैं—
🚩१. करवा चौथ की तैयारी कैसे करनी चाहिए?:- करवा चौथ की तैयारी करने के लिए सबसे पहले थाली में एक आटे से बना दीपक होना चाहिए. उस दीपक में रुई की बाती का होना बेहद जरूरी है. इसमें मिट्टी का करवा भी अवश्य रखें. इसके अलावा, इसमें एक जल का कलश भी रखें, जिससे आप चंद्रमा को अर्घ्य देंगे. साथ ही छलनी का होना भी जरूरी है, जिससे आप चांद के दर्शन करें.
🚩२. करवे में क्या भरा जाना
चाहिए- कुछ लोग करवा में गेहूं और उसके ढक्कन में शक्कर को भरते हैं. फिर करवा पर 13 रोली की बिंदी को रखकर हाथ में गेहूं या चावल के दाने लेकर करवा चौथ की कथा सुनी जाती है. फिर कथा को सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर महिलाएं अपनी सास के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं और उनको करवा देती हैं. कई जगहों पर करवा में दूध भरा जाता है और तांबे या चांदी का सिक्का डाला जाता है.
🚩३. छलनी से क्यों करते हैं पति का दीदार:- मान्यता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के दर्शन करने से छेदों की संख्या जितनी प्रतिबिंब दिखते हैं. अब छलनी से पति को देखते हैं तो पति की आयु भी उतनी ही गुना बढ़ जाती है. इसलिए करवा चौथ का व्रत करने के बाद चांद को देखने और पति को देखने के लिए छलनी प्रयोग की जाती है इसके बिना करवा चौथ अधूरा है.
🚩४. क्या सरगी से पहले नहाना जरूरी है?:- इस शुभ दिन की तैयारी सुबह से ही शुरू हो जाती है और व्रत रखने वाली महिला सूरज की पहली रोशनी से पहले स्नान करती हैं और अपनी सास द्वारा दी गई सरगी खाती हैं. यह सरगी थाली इस तरह से तैयार की जाती है कि यह व्रत रखने वाली महिला को पूरे दिन ऊर्जा प्रदान करती है.
🚩५. करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अरग कैसे दें?:- करवाचौथ व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही किया जाता है. तो ऐसे में आपको बता दें कि चंद्रमा को अर्घ्य देते समय आपकी दिशा उत्तर-पश्चिम की ओर होनी चाहिए. इस दिशा में मुख करके चंद्रदेव को अर्घ्य देने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है. और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है.
🚩६. करवा चौथ की पूजा घर में कैसे करते हैं?:- करवा के पूजन के साथ एक लोटे में जल भी रखें इससे चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. पूजा करते समय करवा चौथ व्रत कथा का पाठ करें. चांद निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें फिर चांद के दर्शन करें. चन्द्रमा को जल से अर्घ्य दें और पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें.
🚩७. करवा चौथ पर कौन सा रंग नहीं पहनना चाहिए?:- करवा चौथ त्योहार का रंग लाल है क्योंकि इसे शुभ माना जाता है और उत्सव के दौरान महिलाएं इसे पहनती हैं. हालांकि, कुछ अन्य रंग भी हैं जिन्हें विवाहित महिलाएं पहन सकती हैं, जिनमें पीला, हरा, गुलाबी और नारंगी शामिल हैं. हालांकि, उन्हें काले या सफेद रंगों से बचना चाहिए.
🚩८. करवा चौथ पर किस भगवान की पूजा की जाती है?:- लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है. इसके अलावा भगवान शिव, माता पार्वती और श्रीगणेश की भी पूजा की जाती है. इसी तिथि पर शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए. इसके लिए चांदी के लोटे में दूध भरें और चंद्र को देखते हुए अर्घ्य चढ़ाएं. इस दौरान चंद्र मंत्र •ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए.
🚩९. चांद को अरग कैसे दे?:- •गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥ का उच्चारण करते हुए अर्घ्य दें. फिर उन्हें प्रणाम करके पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की प्रार्थना करें. इसके बाद पति के हाथों जल ग्रहण करके अपना व्रत पूरा करें. चांद न दिखने की सूरत में इस प्रकार से अर्घ्य दिया जा सकता है.
🚩१०. चंद्रमा को जल चढ़ाने से क्या होता है?:- शास्त्रों के अनुसार, पूर्णिमा की रात्रि चंद्र के उदय होने के बाद लोटे से जल व दूध का अर्घ्य देना शुभ होता है. इससे चंद्र देव की कृपा बनी रहती है. पूर्णिमा पर चंद्र देव को देखकर •ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप •१०८ बार करना चाहिए, इससे जीवन में अपार सफलता मिलती है.
करवा चौथ पर चांद को अर्घ्य देने का क्या है सही तरीका और पूजा विधि
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करवाचौथ 2024: करवा चौथ एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो विशेषकर शादीशुदा महिलाओं के द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं उपवासी रहकर चंद्रमा की पूजा करती हैं। इस लेख में हम चांद को अर्घ्य देने के सही तरीके और पूजा विधि पर चर्चा करेंगे।
करवा चौथ की पूजा विधि
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⚜️1. व्रत की तैयारी
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करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल या गुलाबी रंग के कपड़े पहनें। पूजन सामग्री में ये निम्न वस्तुयें शामिल करें:-
* करवा (मिट्टी का बर्तन)
* सुहाग की सामग्री (सिंदूर, बिंदिया, चूड़ियां)
* मिठाई और फल
* दीपक और अगरबत्ती
⚜️2. उपवासी
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इस दिन महिलाएं दिनभर उपवासी रहती हैं और केवल पानी पीती हैं। शाम को चंद्रमा के निकलने के बाद अर्घ्य देने से पहले पूजा की जाती है।
🌕चांद को अर्घ्य देने का सही तरीका
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⚜️1. चंद्रमा का दर्शन
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रात को चंद्रमा निकलने पर सबसे पहले चंद्रमा को देखें। फिर अपने पति का चेहरा भी चंद्रमा की ओर करें। इससे आपके पति की उम्र बढ़ती है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
⚜️2. अर्घ्य का समर्पण
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चांद को अर्घ्य देने के लिए एक थाली में पानी भरें और उसमें कुछ गेहूं के दाने डालें। इस थाली को दोनों हाथों से पकड़े और चंद्रमा की ओर दिखाते हुए प्रार्थना करें:-
🌕“हे चंद्रमा, कृपया मेरे पति को लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दें।”
⚜️3. पूजा सामग्री का समर्पण
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चांद को अर्घ्य देने के बाद, उस थाली में मौजूद अन्य पूजा सामग्री को भी चंद्रमा की ओर दिखाएं। फिर, अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें।
⚜️4. प्रसाद का वितरण
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अर्घ्य देने के बाद, जो सामग्री आपने तैयार की थी, उसे अपने पति को अर्पित करें। मिठाई और फल का प्रसाद बांटें। यह आपके प्यार और समर्पण का प्रतीक होगा।
करवा चौथ का पर्व न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि यह एक दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण को भी दर्शाता है। चांद को अर्घ्य देने का सही तरीका और पूजा विधि का पालन करके आप इस पर्व को सफलतापूर्वक मना सकते हैं। इस दिन की विशेषता यही है कि यह न केवल आध्यात्मिक बल्कि भावनात्मक जुड़ाव को भी बढ़ाता है
करवा चौथ व्रत का हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्त्व है।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त -17:45 से 19:00
अवधि – 01, घण्टा 15, मिनट्स
करवा चौथ व्रत समय – 06:11 से 20:06
अवधि – 13,घण्टे 55, मिनट्स
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय – 20:06
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 20, अक्टूबर को 06:46
चतुर्थी तिथि समाप्त – 21, अक्टूबर 2024 को 04::16
करवा चाैथ पर इस बार रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्याभामा योग इस करवा चौथ पर बन रहा है. पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए ये व्रत बहुत अच्छा है।
करवा चौथ महात्म्य
छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। साथ ही साथ इससे लंबी और पूर्ण आयु की प्राप्ति होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणोश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।
महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है।
सरगी का महत्त्व
करवा चौथ में सरगी का काफी महत्व है। सरगी सास की तरफ से अपनी बहू को दी जाती है। इसका सेवन महिलाएं करवाचौथ के दिन सूर्य निकलने से पहले तारों की छांव में करती हैं। सरगी के रूप में सास अपनी बहू को विभिन्न खाद्य पदार्थ एवं वस्त्र इत्यादि देती हैं। सरगी, सौभाग्य और समृद्धि का रूप होती है। सरगी के रूप में खाने की वस्तुओं को जैसे फल, मीठाई आदि को व्रती महिलाएं व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व प्रात: काल में तारों की छांव में ग्रहण करती हैं। तत्पश्चात व्रत आरंभ होता है। अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।
महत्त्व के बाद बात आती है कि करवा चौथ की पूजा विधि क्या है? किसी भी व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्त्व होता है। अगर सही विधि पूर्वक पूजा नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
चौथ की पूजन सामग्री और व्रत की विधि
करवा चौथ पर्व की पूजन सामग्री
कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूँ, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे। सम्पूर्ण सामग्री को एक दिन पहले ही एकत्रित कर लें।
व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें तथा शृंगार भी कर लें। इस अवसर पर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन प्रात: स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोल कर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।
करवा चौथ पूजन विधि
प्रात: काल में नित्यकर्म से निवृ्त होकर संकल्प लें और व्रत आरंभ करें।
व्रत के दिन निर्जला रहे यानि जलपान ना करें।
व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-
प्रातः पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है-
‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’
अथवा
ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का
ॐ नमः शिवाय’ से शिव का
ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का ‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा
ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का पूजन करें।
शाम के समय, माँ पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसार पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बाँधकर देवता की भावना करके स्थापित करें। पश्चात माँ पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।
भगवान शिव और माँ पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें।
सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन का व्रत कर व्रत की कथा का श्रवण करें। चंद्रोदय के बाद चाँद को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल एवं मिष्ठान खा कर व्रत खोले।
करवा चौथ प्रथम कथा
बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहाँ तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।
शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूँकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चाँद उदित हो रहा हो।
इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को देखती है, उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है।
वह पहला टुकड़ा मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुँह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।
उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।
सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियाँ करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियाँ उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।
इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह के वह चली जाती है।
सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।
अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अँगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुँह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। हे श्री गणेश माँ गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।
करवाचौथ द्वितीय कथा
इस कथा का सार यह है कि शाकप्रस्थपुर वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ का व्रत किया था। नियमानुसार उसे चंद्रोदय के बाद भोजन करना था, परंतु उससे भूख नहीं सही गई और वह व्याकुल हो उठी। उसके भाइयों से अपनी बहन की व्याकुलता देखी नहीं गई और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करा दिया।
परिणाम यह हुआ कि उसका पति तत्काल अदृश्य हो गया। अधीर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन उसकी तपस्या से उसका पति पुनः प्राप्त हो गया।
करवा चौथ तृतीय कथा
एक समय की बात है कि एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गाँव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया। स्नान करते समय वहाँ एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी चली आई और आकर मगर को कच्चे धागे से बाँध दिया। मगर को बाँधकर यमराज के यहाँ पहुँची और यमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगर को पैर पकड़ने के अपराध में आप अपने बल से नरक में ले जाओ।
यमराज बोले- अभी मगर की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली, अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूँगी। सुनकर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथ आकर मगर को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी। हे करवा माता! जैसे तुमने अपने पति की रक्षा की, वैसे सबके पतियों की रक्षा करना।
करवाचौथ चौथी कथा
एक बार पांडु पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी नामक पर्वत पर गए। इधर द्रोपदी बहुत परेशान थीं। उनकी कोई खबर न मिलने पर उन्होंने कृष्ण भगवान का ध्यान किया और अपनी चिंता व्यक्त की। कृष्ण भगवान ने कहा- बहना, इसी तरह का प्रश्न एक बार माता पार्वती ने शंकरजी से किया था।
पूजन कर चंद्रमा को अर्घ्य देकर फिर भोजन ग्रहण किया जाता है। सोने, चाँदी या मिट्टी के करवे का आपस में आदान-प्रदान किया जाता है, जो आपसी प्रेम-भाव को बढ़ाता है। पूजन करने के बाद महिलाएँ अपने सास-ससुर एवं बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेती हैं।
तब शंकरजी ने माता पार्वती को करवा चौथ का व्रत बतलाया। इस व्रत को करने से स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षा हर आने वाले संकट से वैसे ही कर सकती हैं जैसे एक ब्राह्मण ने की थी। प्राचीनकाल में एक ब्राह्मण था। उसके चार लड़के एवं एक गुणवती लड़की थी।
एक बार लड़की मायके में थी, तब करवा चौथ का व्रत पड़ा। उसने व्रत को विधिपूर्वक किया। पूरे दिन निर्जला रही। कुछ खाया-पीया नहीं, पर उसके चारों भाई परेशान थे कि बहन को प्यास लगी होगी, भूख लगी होगी, पर बहन चंद्रोदय के बाद ही जल ग्रहण करेगी।
भाइयों से न रहा गया, उन्होंने शाम होते ही बहन को बनावटी चंद्रोदय दिखा दिया। एक भाई पीपल की पेड़ पर छलनी लेकर चढ़ गया और दीपक जलाकर छलनी से रोशनी उत्पन्न कर दी। तभी दूसरे भाई ने नीचे से बहन को आवाज दी- देखो बहन, चंद्रमा निकल आया है, पूजन कर भोजन ग्रहण करो। बहन ने भोजन ग्रहण किया।
भोजन ग्रहण करते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। अब वह दुःखी हो विलाप करने लगी, तभी वहाँ से रानी इंद्राणी निकल रही थीं। उनसे उसका दुःख न देखा गया। ब्राह्मण कन्या ने उनके पैर पकड़ लिए और अपने दुःख का कारण पूछा, तब इंद्राणी ने बताया- तूने बिना चंद्र दर्शन किए करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया इसलिए यह कष्ट मिला।
अब तू वर्ष भर की चौथ का व्रत नियमपूर्वक करना तो तेरा पति जीवित हो जाएगा। उसने इंद्राणी के कहे अनुसार चौथ व्रत किया तो पुनः सौभाग्यवती हो गई। इसलिए प्रत्येक स्त्री को अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करना चाहिए। द्रोपदी ने यह व्रत किया और अर्जुन सकुशल मनोवांछित फल प्राप्त कर वापस लौट आए। तभी से हिन्दू महिलाएँ अपने अखंड सुहाग के लिए करवा चौथ व्रत करती हैं।
सायं काल में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही पति द्वारा अन्न एवं जल ग्रहण करें।
पति, सास-ससुर सब का आशीर्वाद लेकर व्रत को समाप्त करें।
करवा चौथ पर शहरों में चंद्रोदय का समय
दिल्ली करवा चौथ चंद्रमा का समय – दिल्ली 07:53 बजे
नोएडा करवा चौथ चंद्रमा का समय – नोएडा 07:52 बजे
मुंबई करवा चौथ चंद्रमा का समय – मुंबई 08:36 बजे
कोलकाता करवा चौथ चंद्रमा का समय – कोलकाता 07:22 बजे
चंडीगढ़ करवा चौथ चंद्रमा का समय – चंडीगढ़ रात 07:48
पंजाब करवा चौथ चंद्रमा का समय – पंजाब रात 07:48
जम्मू करवा चौथ चंद्रमा का समय – जम्मू रात 07:52
लुधियाना करवा चौथ चंद्रमा का समय – लुधियाना रात 07:52
देहरादून करवा चौथ चंद्रमा का समय – देहरादून रात 07:24
शिमला करवा चौथ चंद्रमा का समय – शिमला रात 07:47
पटना करवा चौथ चंद्रमा का समय – पटना रात 07:29
लखनऊ करवा चौथ चंद्रमा का समय – लखनऊ रात 07:42
कानपुर करवा चौथ चंद्रमा का समय – कानपुर रात 07:42 7:47
प्रयागराज करवा चौथ चंद्रमा का समय – प्रयागराज रात 07:42
इंदौर करवा चौथ चंद्रमा का समय – इंदौर रात 08:15
भोपाल करवा चौथ चंद्रमा का समय – भोपाल रात 08:07
अहमदाबाद करवा चौथ चंद्रमा का समय – अहमदाबाद रात 08:27
चेन्नई करवा चौथ चंद्रमा का समय – चेन्नई रात 08:18
बेंगलुरु करवा चौथ चांद समय – बेंगलुरु 08:30 बजे
जयपुर करवा चौथ चांद समय – जयपुर 08:05 बजे
रायपुर करवा चौथ चांद समय – रायपुर 07:43 बजे
करवा चौथ पूजन विधि
प्रात: काल में नित्यकर्म से निवृ्त होकर संकल्प लें और व्रत आरंभ करें। व्रत के दिन निर्जला रहे यानि जलपान ना करें। व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-
प्रातः पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है-
‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’
अथवा
ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का
ॐ नमः शिवाय’ से शिव का
ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का ‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का पूजन करें।
शाम के समय, माँ पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसन पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर कलावा बाँधकर देवता की भावना करके स्थापित करें, पश्चात माँ पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।
भगवान शिव और माँ पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें।
कार्तिक माहात्म्य
नारद जी ने कहा:–
‘हे राजन! कार्तिक मास में व्रत करने वालों के नियमों को मैं संक्षेप में बतलाता हूँ, उसे आप सुनिए। व्रती को सब प्रकार के आमिष मांस, उरद, राई, खटाई तथा नशीली वस्तुओं का त्याग कर देना चाहिए।
व्रती को दूसरे का अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए, किसी से द्वेष नहीं करना चाहिए और तीर्थ के अतिरिक्त अन्य कोई यात्रा नहीं करनी चाहिए। देवता, वेद, ब्राह्मण, गाय, व्रती, नारी, राजा तथा गुरुजनों की निन्दा भी नहीं करनी चाहिए।
व्रती को दाल, तिल, पकवान व दान किया हुआ भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। किसी की चुगली या निन्दा भी नहीं करनी चाहिए। किसी भी जीव का मांस नहीं छूना चाहिए।
पान, कत्था, चूना, नींबू, मसूर, बासी तथा झूठे अन्न का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। गाय, बकरी तथा भैंस के अतिरिक्त अन्य किसी पशु का दूध नहीं पीना चाहिए।
कांस्य के पात्र में रखा हुआ पंचगव्य, बहुत छोटे घड़े का पानी तथा केवल अपने लिए ही पका हुआ अन्न प्रयोग करना चाहिए।
कार्तिक माह का व्रत करने वाले मनुष्य को सदैव ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। उसे धरती पर सोना चाहिए और दिन के चौथे पहर में केवल एक बार पत्तल में भोजन करना चाहिए।
व्रती कार्तिक माह में केवल नरक चतुर्दशी (जिसे छोटी दीवाली भी कहा जाता है) के दिन ही शरीर में तेल लगा सकता है। कार्तिक माह में व्रत करने वाले मनुष्य को सिंघाड़ा, प्याज, मठ्ठा, गाजर, मूली, काशीफल, लौकी, तरबूज इन वस्तुओं का प्रयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए।
रजस्वला, चाण्डाल, पापी, म्लेच्छ, पतित, व्रतहीन, ब्राह्मणद्रोही और नास्तिकों से बातचीत नहीं करनी चाहिए। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए अपनी शक्ति के अनुसार चान्द्रायण आदि का व्रत करना चाहिए और उपर्युक्त नियमों का पालन करना चाहिए।
व्रती को प्रतिपदा को कुम्हड़ा, द्वितीया को कटहल, तृतीया को तरूणी स्त्री, चतुर्थी को मूली, पंचमी को बेल, षष्ठी को तरबूज, सप्तमी को आंवला, अष्टमी को नारियल, नवमी को मूली, दशमी को लौकी, एकादशी को परवल, द्वादशी को बेर, त्रयोदशी को मठ्ठा, चतुर्दशी को गाजर तथा पूर्णिमा को शाक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
रविवार को आंवला का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
यही विधान माघ माह के व्रत के लिए भी है। देवोत्थानी एकादशी में पहले कही गयी विधि के अनुसार नृत्य, जागरण, गायन-वादन आदि करना चाहिए।
इसको विधि पूर्वक करने वाले मनुष्य को देखकर यमदूत ऐसे भाग जाते हैं जैसे सिंह की गर्जना से हाथी भाग जाते हैं। कार्तिक माह का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ है।
इसके अतिरिक्त जितने भी व्रत-यज्ञ हैं वह हजार की संख्या में किये जाने पर भी इसकी तुलना नहीं कर सकते क्योंकि यज्ञ करने वाले मनुष्य को सीधा वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है।
जिस प्रकार राजा की रक्षा उसके अंगरक्षक करते हैं उसी प्रकार कार्तिक माह का व्रत करने वाले की रक्षा भगवान विष्णु की आज्ञा से इन्द्रादि देवता करते हैं।
व्रती मनुष्य जहाँ कहीं भी रहता है वहीं पर उसकी पूजा होती है, उसका यश फैलता है। उसके निवास स्थान पर भूत, पिशाच आदि कोई भी नहीं रह पाते। विधि पूर्वक कार्तिक माह का व्रत करने वाले मनुष्यों के पुण्यों का वर्णन करने में ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं।
यह व्रत सभी पापों को नष्ट करने वाला, पुत्र-पौत्र प्रदान करने वाला और धन-धान्य की वृद्धि करने वाला है।
🔹स्वास्थ्य-कल्याण की बातें🔹
🔹त्रिदोष – शमन के लिए🔹
वमनं कफनाशाय वातनाशाय मर्दनम् । शयनं पित्तनाशाय ज्वरनाशाय लंघनम् ॥
‘कफनाश करने के लिए वमन (उलटी), वातनाश के लिए मर्दन (मालिश), पित्तनाश हेतु शयन तथा ज्वरनाश के लिए लंघन (उपवास) करना चाहिए ।’
🔹तो वैद्य की आवश्यकता ही क्यों ?🔹
दिनान्ते च पिबेद् दुग्धं निशान्ते च जलं पिबेत् । भोजनान्ते पिबेत् तक्रं वैद्यस्य किं प्रयोजनम् ॥
‘दिन के अंतिम भाग में अर्थात् रात्रि को शयन से १ घंटा पूर्व दूध, प्रातःकाल उठकर जल (लगभग २५० मि.ली. गुनगुना) और भोजन के बाद तक्र (मट्ठा) पियें तो जीवन में वैद्य की आवश्यकता ही क्यों पड़े ?’
🔹बिना औषधि के रोग दूर🔹
विनापि भेषजं व्याधिः पथ्यादेव निवर्तते ।
न तु पथ्यविहीनोऽयं भेषजानां शतैरपि ॥
पथ्य-सेवन से व्याधि बिना औषधि के भी नष्ट हो जाती है परंतु जो पथ्य सेवन नहीं करता, यथायोग्य आहार-विहार नहीं रखता, वह चाहे सैकड़ों औषधियाँ ले ले फिर भी उसका रोग दूर नहीं होता ।
🔹दीर्घायु के लिए…🔹
वामशायी द्विभुञ्जानो षण्मूत्री द्विपुरीषकः । स्वल्पमैथुनकारी च शतं वर्षाणि जीवति ॥
‘बायीं करवट सोनेवाला, दिन में दो बार भोजन करनेवाला, कम-से-कम छः बार लघुशंका व दो बार शौच जानेवाला, (वंशवृद्धि के उद्देश्य से) स्वल्प-मैथुनकारी व्यक्ति सौ वर्ष तक जीता है ।’
🔹हरिनाम संकीर्तन से रोग-शमन सर्वरोगोपशमनं🔹
सर्वोपद्रवनाशनम् । शान्तिदं सर्वारिष्टानां हरेर्नामानुकीर्तनम् ॥
‘हरिनाम संकीर्तन सभी रोगों का उपशमन करनेवाला, सभी उपद्रवों का नाश करनेवाला और समस्त अरिष्टों की शांति करनेवाला है ।’
आज का सुविचार
जीवन में केवल विजय प्राप्त करना की लक्ष्य नहीं होना चाहिये,
महत्वपूर्ण यह है कि आप
किस उद्देश्य के लिये विजय प्राप्त करना चाहते हैं
जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनायें और बधाई
दिनांक 20 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होगा। आप अत्यधिक भावुक होते हैं। आप स्वभाव से शंकालु भी होते हैं। दूसरों के दु:ख-दर्द से आप परेशान हो जाना आपकी कमजोरी है। ग्यारह की संख्या आपस में मिलकर दो होती है इस तरह आपका मूलांक दो होगा। इस मूलांक को चंद्र ग्रह संचालित करता है। चंद्र ग्रह मन का कारक होता है।
चंद्र के समान आपके स्वभाव में भी उतार-चढ़ाव पाया जाता है। आप अगर जल्दबाजी को त्याग दें तो आप जीवन में बहुत सफल होते हैं। आप मानसिक रूप से तो स्वस्थ हैं लेकिन शारीरिक रूप से आप कमजोर हैं। चंद्र ग्रह स्त्री ग्रह माना गया है। अत: आप अत्यंत कोमल स्वभाव के हैं। आपमें अभिमान तो जरा भी नहीं होता।
शुभ दिनांक : 2, 11, 20, 29
शुभ अंक : 2, 11, 20, 29, 56, 65, 92
शुभ वर्ष : 2027, 2029, 2036
ईष्टदेव : भगवान शिव, बटुक भैरव
शुभ रंग : सफेद, हल्का नीला, सिल्वर ग्रे
लेखन से संबंधित मामलों में सावधानी रखना होगी। बगैर देखे किसी कागजात पर हस्ताक्षर ना करें। किसी नवीन कार्य योजनाओं की शुरुआत करने से पहले बड़ों की सलाह लें। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति ठीक-ठीक रहेगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से संभल कर चलने का वक्त होगा। पारिवारिक विवाद आपसी मेलजोल से ही सुलझाएं। दखलअंदाजी ठीक नहीं रहेगी।
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज आप अन्यलोगों को नैतिक आचरण सिखाएंगे परन्तु इसे अपने ऊपर लागू ना करने से हास्य के पात्र बनेंगे। दिन का आरंभिक भाग शांति से व्यतीत होगा इसके बाद भाग-दौड़ बढ़ेगी लेकिन आज महनत का फल आशाजनक नही रहने से मानसिक चिंता रहेगी पर जाहिर नही करेंगे। व्यावसायिक क्षेत्र पर सहकर्मी मनमानी करेंगे क्रोध में आकर कटु वचन बोलेंगे जिस कारण संबंध खराब होने के साथ ही अव्यवस्था भी फैलेगी जिसे सुधारना आज आपके वश में नही होगा। धन लाभ के लिए आज का दिन मध्यम रहेगा। संध्या के समय स्थिति आपके नियंत्रण में रहेगी धन लाभ के साथ आनंद दायक समय बिताएंगे। महिलाये स्वार्थ वश अत्यंत मीठा व्यवहार करेंगी।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज आपके मन की चंचलता एवं स्वभाव में उद्दंडता को छोड़ शेष सब उत्तम रहेगा। परिजनों अथवा बाहरी लोगों से बेबाकी से पेश आना भारी पड़ सकता है। आप आलस्य से भरे रहेंगे फिर भी आज जिस भी कार्य को करेंगे उसे अन्य की अपेक्षा कम समय मे एवं सफाई से पूर्ण कर लेंगे। व्यवसाय में आज ज्यादा उत्साह नही लेंगे लेकिन आकस्मिक कार्य आने से बेमन से करना पड़ेगा फिर भी धन लाभ उत्तम होगा नए लाभ के अनुबंध मिलेंगे परन्तु सहयोगियो की कमी रहने से कार्य आरंभ आज नही कर पाएंगे। घरेलू आवश्यकता के अलावा सुख के साधनों पर अधिक खर्च होगा। आज आपको कोई ठग भी सकता है सतर्क रहें।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज भी आपकी दिनचार्य असामान्य रहेगी। सेहत में सुधार आएगा परन्तु आपकी लापरवाही के कारण तकलीफ दोबारा हो सकती है। आज आप जो भी कामना करेंगे उसका विपरीत फल ही मिलने वाला है। व्यवसाय में अतिरिक्त आय कमाने के प्रलोभन में हाथ लगी पूंजी ना चली जाए इसका ध्यान रखना पड़ेगा आज गलत निर्णय अवश्य हानि का कारण बनेगा। परिजनों की जिद के आगे सामर्थ्य से अधिक खर्च करना पड़ेगा जिस कारण धन की कमी बनेगी। मित्र परिचितों से भी संबंधों में उदासीनता अधिक रहेगी। धार्मिक पूजा पाठ के प्रसंग बनेंगे परन्तु ध्यान कही और भटकने से दिखावा मात्र रहेगा। परिजनों से थोड़ी ख़ट पट के बाद सुख मिलेगा। दवाओं पर खर्च करना पड़ सकता है।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिए अवश्य कोई शुभ समाचार देगा। आज आप दिन भर किसी ना किसी कारण से व्यस्त ही रहेंगे व्यस्तता को धन के साथ ना जोड़े अन्यथा मानसिक संताप रहेगा। आज संबंधों को ज्यादा महत्त्व दें निकट भविष्य में ये ही धन लाभ कराएंगे। कार्य व्यवसाय से काम चलाऊ आय आसानी से हो जाएगी निवेश बेझिझक होकर कर सकते है। घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति समय पर करने पर भी परिजन किसी न किसी कारण से नाराज ही रहेंगे। गृहस्थ की बाते मित्र स्नेही जन से भी ना बांटे हानिकर हो सकता है। आज किसी के ऊपर छींटा कशी करने से बचे दिनचार्य को सामान्य व्यतीत करने का प्रयास करें स्वयं को श्रेष्ठ दिखाने के चक्कर मे मान हानि हो सकती है।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिये सुनहरे अवसर प्रदान करेगा इसका समय रहते लाभ उठायें कल की अनुकूल परिस्थिति आज की मेहनत से ही बनेगी। आज दिन का पहला भाग थोड़ा अस्त व्यस्त रहेगा आवश्यक कार्य लेटलतीफी के कारण विलम्ब से पूर्ण होंगे। कार्य क्षेत्र पर भी मध्यान तक अव्यवस्था रहेगी जिस कारण लाभ होते होते रह सकता है। मध्यान से संध्या के बीच के समय व्यवसाय में आकस्मिक उछाल आएगा। थोड़े परिश्रम से अधिक लाभ कमा सकेंगे। महिलाये घर मे किसी छोटी सी बात को लेकर विवाद खड़ा करेंगी विवेकपूर्ण व्यवहार करें। संध्या बाद कोई हानि हो सकती है। मनोरंजन की चाह आज मन मे ही रह जायेगी। सेहत छोटी मोटी बातो को छोड़ ठीक रहेगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आप योजनाए तो बहुत बनाएंगे परन्तु किसी ना किसी अभाव के कारण इन्हें पूरा नही कर पाएंगे। आज के दिन आप अपनी भावनाओं को किसी के आगे सांझा करने से कतराएंगे आपसी संबंध को बचाना इसका मूल उद्देश्य रहेगा। लोगो की उद्दंडता को मजबूरन नजरअंदाज करना पड़ेगा। आर्थिक रूप से दिन सामान्य ही रहेगा। खर्च लायक आय आसानी से हो जाएगी। खर्च करने में भी मितव्ययता बरतेंगे। आज आप जिस भी कार्य को लेकर निश्चिन्त रहेंगे उसी में कुछ ना कुछ विघ्न उपस्थित होगा। सरकारी कार्य लंबित रहेंगे नौकरी में भी उत्साह की कमी रहेगी। पेट संबंधी व्याधि से परेशानी होगी।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन भी परिस्थितियां आपके लिये प्रतिकूल ही रहेंगी। स्वास्थ्य के साथ ही धन हानि के योग बन रहे है। नए कार्य का आरंभ फिलहाल टालें पुराने अधूरे कार्य पूर्ण करने पर अधिक ध्यान दे समय पर कार्य पूरे ना करने पर सम्मान हानि हो सकती है। व्यावसायिक काम काज को लेकर आज अन्य लोगो के ऊपर ज्यादा निर्भर रहना पड़ेगा अवकाश भी लेना पड़ सकता है। लाभ आशानुकूल ना होने से थोड़ी निरशा भी रहेगी। महिलाये वाणी के प्रयोग में संतुलन बरते बेवजह कलह के प्रसंग बनने से रंग में भंग वाली स्थिति बन सकती है। संध्या के आस-पास थकान के कारण किसी काम मे मन नही लगेगा लेकिन फिर भी घूमने फिरने मनोरंजन आदि के लिए तत्पर रहेंगे। शादीशुदा लोगो को किसी बात का पछतावा होगा।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन भी आपके अनुकूल रहेगा। फिर भी आज किसी पर भी आवश्यकता से अधिक विश्वास ना करें ना ही किसी को मन के भेद बताये बाद में परेशानी होगी। आज कही ना कहीं से आकस्मिक धन लाभ होगा जिससे रुके कार्यो में गति आएगी। कुछ दिनों से टल रही मनोकामना की पूर्ति आज कर सकेंगे। व्यवसाय में नए अनुबंध मिलेंगे लापरवाही से बचें अन्यथा हाथ से निकल भी सकते है। व्यापार विस्तार के लिए दिन शुभ है पर नए कार्य का आरंभ आज ना करें। धन का निवेश शीघ्र ही फलदायी होगा। मित्र अथवा रिश्तेदारों के कारण कुछ समय के लिये परेशानी में पड़ेंगे। यात्रा के योग बन रहे है इसमें सावधानी रखें।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन भी धन धान्य में वृद्धिकारक बना रहेगा। दिन के आरंभ से ही कार्यो को लेकर गंभीर रहेंगे लेकिन महिलाये हर काम मे नखरे करेंगी। मध्यान के बाद का कुछ समय रुके धन को प्राप्त करने में व्यतीत होगा। कार्य क्षेत्र पर आज मनमानी ज्यादा करेंगे जिससे सहकर्मियों को असुविधा होगी फिर भी आज आप अपने व्यवहार से सभी को खुश रख सकेंगे। पारिवारिक स्थिति भी आज पहले से बेहतर बनेगी घरेलू कार्यो को लेकर व्यस्तता भी अधिक रहेगी। घर के बुजुर्गों से थोड़ी अनबन रहने की संभावना है फिर भी आज संध्या का समय परिजनों के साथ आनंद से बिताएंगे। पेट की परेशानी अथवा हाथ पैरों में शिथिलता रहेगी।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन भी आपके लिए शुभ है लेकिन आज अतिआत्मविश्वास एवं अहम की भावना के कारण हानि एवं आपसी मनमुटाव रहेगा। आज अन्य लोगो को स्वयं की तुलना में निम्न आंकना परेशानी में डालेगा। अधिकारी वर्ग अथवा घर के बड़े लोग जानबूझ कर आपको ज्यादा कार्य सौंपेंगे जिससे भारी परेशानी होगी। सेहत लगभग सामान्य ही रहेगी लेकिन थकान अधिक अनुभव होगी। आज दो पक्षो के झगड़े को सुलझाने में आपका सहयोग लिया जाएगा यथा सम्भव दूर रहें अन्यथा बैठे बिठाए अपमानित होना पड़ेगा। घरेलू जरूरतों की पूर्ति में विलंब झगड़े का कारण बनेगा। धन लाभ परिश्रम के बाद ही आशानुकूल रहेगा।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आपकी आज की दिनचार्य भी उथल-पुथल रहेगी। आज आपके आचरण से किसी ना किसी को परेशानी होगी आप अपने बड़बोले पन के कारण स्वयं ही मुसीबतों को न्योता देंगे। घर एवं बाहर का वातावरण आपके अमर्यादित आचरण से कलुषित हों सकता है। परिजनो से आज अधिकतर कार्यो में वैचारिक मतभेद रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर लापरवाह होकर कार्य करने पर अधिकारियो की डांट सुन्नी पड़ेगी। स्वभाव में भी आज सुस्ती अधिक रहेगी। धन लाभ के अवसर हाथ से निकलने की संभावना है। महत्त्वपूर्ण विषयो में निर्णय आज नाही ले तो उचित रहेगा। स्त्रियां गलती करने पर दोष किसी और के सर डालने का प्रयास करेंगी।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आपका मुख्य उद्देश्य धन प्राप्ति के साथ सुख सुविधाओं में भी वृद्धि करना रहेगा परन्तु इसमे आंशिक सफलता ही मिल सकेगी फिर भी आध्यात्म से जुड़े रहने के कारण इच्छा पूर्ति ना होने पर भी ज्यादा विचलित नही होंगे। कार्य व्यवसाय में नए विरोधी बनेंगे परन्तु आज आपका कुछ बिगाड़ नही सकेंगे। बीच-बीच मे आज क्रोध के प्रसंग बनेंगे फिर भी थोड़ा विवेक रहने से इन्हें अनदेखा करेंगे। आज आप जल्द पैसा कमाने वाले उपाय भी अपना सकते है जिनमे हानि होने की संभावना अधिक रहेगी। आवश्यकता अनुसार धन लाभ आज हो ही जायेगा धन के पीछे भागने की प्रवृति छोड़े। पारिवारिक सदस्य बेपरवाह होकर अपनी मस्ती में मस्त रहेंगे।
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